Friday, May 7, 2010

सच्चा अनुभव

सच्चा अनुभव 

सफलता की ख़ुशी वो क्या जाने,
हो सफलता पाते रहते हैं;
जाके जरा उनसे पूछो ,
जो अभी भी आस लगाये बैठे हैं !

खाने की कीमत वो क्या जाने ,
जो घर में खाते रहते हैं ;
जा के जरा उनसे पूछो ,
जो टुकड़ों के लिए तरसते हैं!

बहन का प्यार वो क्या जाने ,
जो घर में  लड़ते  रहते हैं,
जाके जरा उनसे पूछो ,
जिनके विदाई में आसूं बहते हैं!

भाई के प्यार को वो क्या जाने ,
जो बंटवारे की सांक में रहते हैं;
जाके जरा उनसे पूछो ,
जो अभी भी लक्ष्मण बने बैठे हैं!

प्यार का दर्द वो क्या जाने,
जो प्यार पाके मस्ताने हैं;
जाके जरा उनसे पूछों ,
जो अभी भी राह देखते रहते हैं!

याद का दर्द वो क्या जाने ,
जो प्यार के पास रहते हैं,
जाके जरा उनसे पूछो,
जो अभी भी जुदाई सहते हैं!

यार के प्यार को वो क्या जाने,
जो दिल में दूरी बना के रहते हैं;
जाके जरा उनसे पूछो ,
जो निष्पक्ष दिल से मिलते हैं!

घर की कीमत वो क्या जाने ,
जो महलों में सोया करते हैं;
जा के जरा उनसे पूछो ,
जो तारे गिन गिन के सोते हैं!

दुःख की गहराई वो क्या जाने,
जो खुशियों में जीते रहते हैं;
जा के जरा उनसे पूछो,
जो दुःख झेल के बैठे हैं!

2 comments:

kaanchi navya said...

best hai ji ......

Anonymous said...

Bahut hi khoobsurat