जो चला गया, फिर कहाँ मिला
इस तूफ़ान सी तेज़ दुनिया में ,
हमको न किसी का सहारा मिला,
हम अपनी राह खुद बनाते चले,
जो छूट गया फिर कहाँ मिला!
जर्रा जर्रा महकाया हमने,
उनको जीना सीखाया हमने ,
वो चले गए फिर कहाँ मिले,
न फिर कभी उनका दीदार मिला!
कैसे दिन बिताये हमने ,
अब क्या बताये जब वो चले गए,
हम तो ख़ुशी मांगते रहे उनकी,
पर उनका सन्देश न दुबारा मिला!
मन अभी भी नहीं समझता ,
आस लगता रहता है,
सपनो में मिलता रहता उनसे,
पर उनकी मुस्कराहट का नज़ारा, न दुबारा मिला!
रास्ता अपना चुना हमने,
तकदीर अपनी बनाई हमने,
पर इस रंग बदलती दुनिया में,
कभी कोई अपना , तो कभी कोई पराया मिला!
कौन गलत है क्या पता,
किसने कितना चाहा ,क्या पता
जब अंत समाये आया तो ,
न हमें उनका , न उनको हमारा सहारा मिला!
इस तूफान से तेज़ दुनियां में
जो छूट गया फिर कहाँ मिला!
1 comment:
good poet ho ji aap to....
Post a Comment